150 रुपए छीनकर भाग रहे नौजवान की गला रेत कर दी हत्या, चौंकीदार का काम करते है दोनों आरोपी, नेपाल में भी कर चुके है कत्ल 
BY utrun / March 18, 2024
चंडीगढ़/यूटर्न/16 मार्च।
चंडीगढ़ पुलिस ने सेक्टर-44 में हुए नौजवान के कत्ल केस में 2 नेपाली युवकों को काबू किया है। जांच के दौरान सामने आया कि मात्र 150 रुपए के लिए हत्या को अंजाम दिया गया। आरोपियों की पहचान बुडैल के रहने वाले बसंत चौधरी (35) और चूड़ामणि (24) के तौर पर हुई है। 
 
डीएसपी दलबीर सिंह ने जानकारी देते हुए बताया कि सेक्टर-34 थाना और क्राइम सेल की ओर से आरोपियों को गिरफ्तार किया गया है। दोनों आरोपी बुड़ैल में चौकीदार का काम करते थे। वह 5 साल से यहां रह रहे हैं। वहीं, मृतक की पहचान जितेंद्र उर्फ जीतू के रूप में हुई। वह बुड़ैल में ही रहता था और मजदूरी का काम करता था। हत्या वाली रात दोनों आरोपी साथ बैठकर पैसे गिन रहे थे। अचानक पीछे से पीडि़त जितेंद्र आया और उनके पैसे छीन कर भाग गया। उसका पीछा करते हुए दोनों ने जितेंद्र को सेक्टर-44 पार्क के पास जाकर पकड़ लिया। दोनों आरोपियों ने पहले उसे डंडों से पीटा और फिर किसी नुकीली चीज से उसके गले पर वार किए, जिससे उसकी मौत हो गई। इसके बाद दोनों आरोपी वहां से फरार हो गए। आरोपियों ने पुलिस को पूछताछ में बताया कि जितेंद्र उनके डेढ़ सौ रुपए छीन कर भागा था। इसीलिए उन्होंने उसका कत्ल कर दिया था। 
डीएसपी ने बताया कि आरोपी मूल रूप से नेपाल के रहने वाले हैं और नेपाल में भी उन्होंने एक कत्ल किया है। इसकी जानकारी नेपाल पुलिस से संपर्क कर ली जा रही है, ताकि आरोपियों की पूरी हिस्ट्री का पता चल सके। पुलिस ने आरोपियों से हत्या में इस्तेमाल किए गए हथियार भी बरामद कर लिए हैं।
 
सीसीटीवी फुटेज से पकड़े गए आरोपी 
पुलिस ने इलाके की सीसीटीवी फुटेज खंगाली तो एक में जितेंद्र अपने घर जाता हुआ और फिर दोबारा बाहर आता हुआ दिखाई दे रहा था। जबकि, दूसरी फुटेज में हाथ में डंडा लिए हुए आरोपी नजर आए। इसी के आधार पर पुलिस ने आरोपियों को सेक्टर-51 के पास से काबू किया।
 
बता दें कि वीरवार को चंडीगढ़ के सेक्टर-44 स्थित लक्ष्मी नारायण मंदिर के पास एक युवक का शव संदिग्ध हालत में पड़ा हुआ मिला था। जिसकी सूचना वहां से गुजर रहे राहगीर ने पुलिस कंट्रोल रूम में दी थी। इसके बाद थाना 34 की पुलिस मौके पर पहुंची और शव को सेक्टर-32 अस्पताल पहुंचाया। मृतक के कपड़ों से मिले दस्तावेज से उसकी पहचान हुई थी। जिसके बाद उसके घरवालों को सूचित किया गया।

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