अब रूस है भारत का दूसरा सबसे बड़ा क्रू़ड ऑयल आपूर्तिकर्ता BY utrun / August 05, 2022 भारत को कच्चे तेल की आपूर्ति और इसके दामों को लेकर तेल आपूर्तिकर्ता देशों में भारी संघर्ष शुरू हो गया है। रूस ने भारत के लिए क्रूड ऑयल के दाम अपने ओपेक + के सहयोगी देश सऊदी अरब से 10 से 15 प्रतिशत तक कीमत कम कर दी है, जिससे मॉस्को के लिए सबसे बड़े कच्चे तेल आयातकों में से एक में अपनी बाजार हिस्सेदारी को विस्तार करने का मार्ग प्रशस्त हो गया है। वहीं खबर है कि ईरान भी भारत में अपने कच्चे तेल निर्यात का मार्ग प्रशस्त करना चाहता है। भारत सरकार के आंकड़ों के आधार पर ब्लूमबर्ग न्यूज एजेंसी द्वारा किए गए विश्लेषण के अनुसार, अप्रैल से जून के दौरान सऊदी क्रूड की तुलना में रूसी कच्चा तेल भारत को सस्ते में मिला है और मई माह में ये छूट लगभग 19 डॉलर प्रति बैरल रही। यही नहीं, प्राप्त आँकड़ो के अनुसार, रूस ने जून में भारत को दूसरे सबसे बड़े आपूर्तिकर्ता के रूप में सऊदी अरब को भी पीछे छोड़ दिया है, जो कि इसके पहले इराक के ठीक पीछे दूसरे नंबर पर था।यूक्रेन -रूसी युद्ध के बाद से भारत और चीन रूसी कच्चे तेल के इच्छुक उपभोक्ता बन गए हैं क्योंकि अधिकांश अन्य खरीदारों ने यूक्रेन पर आक्रमण के बाद इसके कच्चे तेल बैरलों से किनारा कर लिया है। वहीं भारत जो अपनी कच्ची तेल जरूरतों का 85% आयात करता है, को सस्ती आपूर्ति कुछ आर्थिक राहत प्रदान करती है क्योंकि भारत को इन दिनों पहले ही तेज मुद्रास्फीति और रिकॉर्ड व्यापार घाटे के अंतर का सामना करना पड़ रहा है। ----------- जवाहिरी की मौत पर तालिबान ने तोड़ी चुप्पी अमेरिकी बयान के एकदम उल्टा किया दावा अफगानिस्तान की राजधानी काबुल में अल-कायदा प्रमुख के अमेरिकी ड्रोन हमले में मारे जाने के बाद अपनी चुप्पी तोड़ते हुए तालिबान ने गुरुवार को कहा कि उसे अयमान अल जवाहिरी की मौजूदगी के बारे में कोई जानकारी नहीं थी। तालिबान ने कहा कि वह अमेरिकी ड्रोन हमले में काबुल में जवाहिरी के मारे जाने के 'दावे' को लेकर जांच कर रहा है। जवाहिरी के मारे जाने के बाद तालिबान और पश्चिमी देशों के संबंधों में तनाव और बढ़ गया है। तालिबान का दावा और अमेरिकी बयान में विरोधाभास है क्योंकि अमेरिकी अधिकारियों का कहना है कि जवाहिरी तालिबान के वरिष्ठ नेता सिराजुद्दीन हक्कानी के एक शीर्ष सहयोगी के घर में रह रहा था। हक्कानी तालिबान का उप प्रमुख है और सरकार में आंतरिक मंत्री भी है। वह हक्कानी नेटवर्क का प्रमुख भी है। साल 2020 के दोहा समझौते में तालिबान ने अमेरिका से वादा किया था कि वे अल-कायदा के सदस्यों या अमेरिका पर हमला करने की मंशा रखने वालों को पनाह नहीं देंगे। तालिबान ने कहा कि उसने जांच एवं खुफिया एजेंसियों को इस घटना के विभिन्न पहलुओं की गहन और व्यापक जांच करने का आदेश दिया है। तालिबान ने बयान में पश्चिम को यह भी आश्वासन दिया कि 'अफगानिस्तान की जमीन से अमेरिका सहित किसी भी देश को कोई खतरा नहीं है।' जवाहिरी की मौत के बाद तालिबानी शासकों पर अंतरराष्ट्रीय निगरानी तेज हो गई है। साथ ही इस घटना से अंतरराष्ट्रीय मान्यता और मदद मिलने के तालिबानी सरकार के प्रयासों पर भी असर पड़ सकता है।

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