अफ्रीका में चीन को मात देने की तैयारी में भारत:10 साल में 2 लाख करोड़ कर्ज दिया; क्या जिनपिंग के कारण जोहान्सबर्ग पहुंचे मोदी

BY utrun / August 22, 2023

5 साल बाद एक बार फिर PM नरेंद्र मोदी दक्षिण अफ्रीका के दौरे पर जा रहे हैं। मकसद सिर्फ BRICS सम्मेलन में हिस्सा लेना नहीं, बल्कि अफ्रीका में भारत की पकड़ को मजबूत करना भी है।

दरअसल, दक्षिण अफ्रीका पांचवां ऐसा देश है, जिस पर चीन का सबसे ज्यादा प्रभाव है। ये खुलासा ताइवान की एक एजेंसी डबल थिंक्स लैब्स ने किया है। यही वजह है कि भारत ने अब अफ्रीका में चीन को मात देने की तैयारी कर ली है।

2 अगस्त 2023 को न्यूज एजेंसी रॉयटर्स ने एक खबर दी। इसमें बताया गया कि PM मोदी ब्रिक्स की मीटिंग के लिए साउथ अफ्रीका नहीं जाएंगे। वो संगठन की इस बैठक में वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग के जरिए शामिल होंगे। एजेंसी ने PM मोदी के इस बैठक में न जाने की वजह BRICS संगठन में चीन का होना और भारत की अमेरिका से बढ़ती नजदीकियों को बताया था।

इसके ठीक 2 दिन बाद यानी 4 अगस्त को विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता अरिंदम बागची ने बताया कि साउथ अफ्रीका के राष्ट्रपति ने PM मोदी से फोन पर बात की है। वो समिट की बैठक में हिस्सा लेने के लिए साउथ अफ्रीका जाएंगे।

JNU के प्रोफेसर राजन कुमार का कहना है कि चीन उन बड़ी वजहों में से एक है जिसके चलते PM मोदी साउथ अफ्रीका में हो रही ब्रिक्स समिट में शामिल हो रहे हैं। उनका कहना है कि साउथ अफ्रीका ने समिट के लिए काफी खर्च किया है।

ऐसे में अगर PM मोदी वहां नहीं जाते तो इससे वहां भारत को लेकर नाराजगी बढ़ सकती थी। वहीं साउथ अफ्रीका G-20 देशों का सदस्य है। इसकी मेजबानी इस साल भारत के पास है और अगले ही महीने नई दिल्ली में इसकी समिट होने वाली है। ऐसे में साउथ अफ्रीका भी नाराजगी जाहिर करते हुए बैठक में शामिल होने से इनकार कर सकता था। इससे भारत की छवि को नुकसान पहुंचता।

भारत और साउथ अफ्रीका के बीच किसी भी विवाद से चीन को ब्रिक्स में अपनी पैठ मजबूत करने का मौका मिलता। वहीं, समिट के दौरान अफ्रीका आउटरीच और ब्रिक्स प्लस डायलॉग किया जाएगा। इसके जरिए भारत दूसरे अफ्रीकी देशों तक अपनी पहुंच को बढ़ा सकता है। वहीं अगर PM मोदी समिट में शामिल नहीं होते तो ब्रिक्स समिट में केवल एक ताकतवर नेता रहते वो हैं शी जिनपिंग। इससे चीन की संगठन पर पकड़ मजबूत होती और भारत कमजोर पड़ जाता।

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