DMC अस्पताल में चैरीटेबल व सस्ती दवा की आढ़ में मोटी कमाई का खेल जारी --- महंगा इलाज व दवा देने पर लगाम लगाने को कहा तो गवर्निंग कमेटी के मेंबर सांसद अरोड़ा बोले मेरी नहीं चलदी BY utrun / February 27, 2023 (राजदीप सिंह सैनी) लुधियाना/यूटर्न/27 फरवरी। पंजाब में सेहत सुविधाओं की आढ़ में मोटी कमाई करने का धंधा जोरो पर हैं। जबकि राज्य सरकार भी इस पर रोक नहीं लगा पा रही। हालात ये हैं कि अस्पतालों व मेडिकल स्टोर मालिकों द्वारा इलाज व दवा कई गुना महंगे दाम में दी जा रही है। इसके सबुत होने के बावजूद सरकारें एक्शन नहीं ले पा रही। जबकि कई अस्पताल तो खुद को चैरीटेबल पता सरकार से ही लाखों रुपए फायदा ले रहे हैं। यहीं हालात शहर के नामी अस्पतालों में से एक डीएमसी अस्पताल के हैं। डीएमसी द्वारा खुद को चैरीटेबल व सस्ता इलाज और दवा मुहैया कराने के दावे तो किए जाते हैं। लेकिन असलियत इससे उल्ट हैं। जबकि अस्पताल की गवर्निंग कमेटी के एक्टिव मेंबर पंजाब राज्यसभा मेंबर सांसद संजीव अरोड़ा हैं। जब सांसद संजीव अरोड़ा से अस्पताल पर महंगे इलाज व दवा देने पर लगाम लगाने को कहा तो आगे से सांसद ने दो टुक कहा कि उनकी अस्पताल में चलती ही नहीं है। जिससे साफ जाहिर है कि सांसद होने के बावजूद उनकी अस्पताल कमेटी में सुनवाई नहीं है, तो आम जनता का क्या होगा। जबकि दूसरी और अस्पताल कमेटी के सैक्रेटरी प्रेम गुप्ता पूरा अस्पताल संभाल रहे हैं। जिससे जाहिर है कि अस्पताल में सिर्फ उन्हीं की चलती है। 390 रुपए का इंजेक्शन डीएमसी फार्मेंसी पर 732 का मिल रहा वहीं बता दें कि डीएमसी अस्पताल द्वारा हर साल लाखों रुपए चैरिटी में खर्च करने की बात कही जाती है। अस्पताल प्रबंधन द्वारा सस्ती दवाइयां देने के भी दावे किए जाते है। लेकिन इसकी असलियत जानने के लिए डीएमसी के अंदर बनी अस्पताल की अपनी फार्मेंसी से एक आईसीयू बैक 1 एमजी इंजेक्शन खरीदा गया। जिसकी कीमत वैसे तो बिल पर 5488 रुपए लिखी थी। लेकिन वे ग्राहक को 732 रुपए में दिया गया। जबकि उसी इंजेक्शन को बाहर के मेडिकल से खरीदा गया, तो वे मात्र 390 रुपए में मिला। इसका मतलब है कि अस्पताल द्वारा सिर्फ दस्तावेजों में चैरिटी के दावे कर सरकार से फायदे लिए जा रहे हैं। असलियत में डेढ़ गुना ज्यादा रेट पर दवाइयां सेल की जा रही है। डिस्काउंट की बात कह ग्राहक को बनाते बुद्धू बता दें कि जब भी डीएमसी की फार्मेंसी पर दवा लेने जाओं तो वहां बैठे कर्मचारियों से डिस्काउंट की बात कहें तो वे 10 से 20 प्रतिशत दवा में डिस्काउंट देने की बात कहते है। जिसके चलते ग्राहक वहां से दवाइयां लेता है। लेकिन असलियत में वे लोगों को डिस्काउंट के नाम पर बुद्धू बनाते है। क्योंकि इंजेक्शन लेने पर भी बिल में 70 प्रतिशत से अधिक डिस्काउंट लिखा हुआ है। लेकिन असलियत में फिर भी डेढ़ गुना मुनाफा कमा रहे हैं। जिससे जाहिर है कि सिर्फ लोगों को आईवॉश किया जा रहा है। एक दवा पर कई गुना मुनाफा कमा रहे अस्पताल व मेडिकल बता दें कि एक एक दवा पर अस्पताल व मेडिकल स्टोरों के मालिक कई गुना मुनाफा कमा रहे हैं। इसमें दवा कंपनी से लेकर, सप्लायर, मेडिकल स्टोर व अस्पताल तक की कमिशन रहती है। दवा जो मेडिकल व अस्पताल को मात्र 50 रुपए में मिलती है, उस पर प्रिंट रेट 200 होता है। जिस पर अस्पताल व स्टोर मालिक इसमें ग्राहक को 20-30 प्रतिशत डिस्काउंट बता लुभाते हैं और मनमानी कर 150 तक आसानी से सेल कर देते है। इस तरह कर मोटी कमाई की जा रही है। -----

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