कई इलाजों में पांच सितारा निजी हॉस्पिटल से भी महंगा है DMC हॉस्पिटल BY utrun / February 15, 2023 800 करोड़ रु की एफडी का क्या है राज लुधियाना 14 फरवरी ; चैरीटेबल होने के बावजूद मॉड्रन मशीनरी के नाम पर सामान्य जनता को आसमान छूती कीमतों पर इलाज मुहैया करवा रहा दयानन्द मैडिकल कॉलेज और हॉस्पिटल चैरीटेबल (डीएमसीएच ) सुर्ख़ियों में बना हुआ है। महंगाई के इस दौर में जहां एक तरफ केंद्र सरकार आयुष्मान केंद्र और पंजाब सरकार मोहल्ला क्लिनिक खोलते हुए सामान्य जनता को सस्ता इलाज देने के दावे कर रहे है वहीं विभिन्न सरकारों से भरी भरकम टैक्स रियायतें लेने के बावजूद डीएमसी हॉस्पिटल में कुछ इलाजों के दाम निजी हॉस्पिटलों से भी महंगे है। एक्सपर्ट की माने तो कोविद से प्रभावित हर वर्ग पहले से ही स्ट्रैस में जी रहा है ऐसे में महंगे इलाज के चलते कई कारोबारियों को भी ना चाहते हुए क्वालिटी इलाज से कोम्प्रोमाईज़ करना पड़ रहा है । लोगों में चर्चा है की एक तरफ चैरीटेबल होने के बावजूद डीएमसी हॉस्पिटल के पास बैंक में करीब 800 करोड़ की फिक्स्ड डिपॉजिट (एफडी ) पड़ी है जिसका औसतन सालाना ब्याज ही 100 करोड़ के आसपास हो जाता है ऐसे में हॉस्पिटल मैनेजमेंट के लिए सस्ता इलाज मुहैया करवाना बहुत सामान्य बात है। दुनिया को सफलता के टीप्स देने वालों के राज में जनता को क्यों नहीं मिल रहा सस्ता इलाज ? एक्सपर्ट्स की माने तो इसमें कोई दो राय नहीं की डीएमसी अस्पताल की कमान देश , राज्य और शहर के टॉप कारोबारी संभाल रहे हैं ये वही कारोबारी है जिन्हे विभिननं सार्वजानिक कार्यकर्मों दौरान लोगों को अपनी लागत कम करने और संसथान को मुनाफे में लाने के टिप्स देते सुना जा सकता ह। वहीं सैक्रेटरी प्रेम गुप्ता द्वारा दारोमदार सँभालने के बाद ही डीएमसी अस्पताल की क्रेडेबिल्टी और विस्तार में बड़ा इजाफा हुआ है । एस.टी. कोटेक्स कंपनी के मालिक प्रेम गुप्ता खुद एक सफल कारपोरेट कारोबारी है। लेकिन इतने कुशल मैनेजमेंट के बावजूद ये कारपोरेट मैनेजमेंट के मैमब्र डीएमसी अस्पताल में इलाज को सब्सडीज एवं सस्ता क्यों नहीं कर रहे ये एक बड़ा सवाल है । वहीं सोसायटी में राज्य सभा मैमब्र संजीव अरोड़ा भी अहम मैम्बर है इसलिए डीएमसी अस्पताल में इलाज को कैसे सब्सिडाइज कर सामान्य जनता को राहत दी जा सकती है उनसे बेहतर कोई नहीं जनता। प्रोजेक्ट की आरओआई बना सस्ता हो सकता है इलाज डीएमसी अस्पताल में महंगी और लेटस्ट मशीनरी का तर्क दे महंगे दामों पर इलाज के रेट बढ़ा दिए जाते है लेकिन अगर इसे प्रोजेक्ट की आरओआई बना कर रेट निर्धारित किए जाएं तो पहले ही दिन से हर वर्ग को सब्सिडाइज कीमतों पर इलाज मिल सकता है एक चैरीटेबल हॉस्पिटल का रिजर्व फंड रखना अच्छी बात है लेकिन 800 करोड़ रु जैसी बड़ी राशि की एफडी रखने की स्ट्रैटजी समझ से बाहर है दस्तावेजों में करोड़ों की चैरिटी लेकिन सार्वजनिक नहीं की जाती मरीजों की जानकारी ! अस्पताल की और से अपनी बैलेंस शीट में हर साल करोड़ों रुपए की चैरिटी दिखाई जाती है। जिसमें वे गरीब परिवारों का इलाज व उन्हें दान देने का क्लेम करते हैं। जानकारों अनुसार बैलैंसशीट में दिखाए जाने वाले चैरिटी खर्चों में किन मरीजों का इलाज किया गया है इसकी जानकारी को भी सार्वजनिक नहीं किया जाता। ऐसी आशंकाएं है की असलियत में अस्पताल द्वारा अमीर लोगों के परिवारों, ब्यूरोक्रेट्स, अधिकारियों व कमेटी के करीबियों के इलाज में अच्छी खासी सहुलियत दी जाती है। केंद्र और राज्य सरकारों से मिल रहे है चैरीटेबल के अंतर्गत टैक्स बैनिफिट डीएमसी अस्पताल के चैरीटेबल होने को लेकर कई चर्चाएं है सामान्यत लोगों में ऐसी धरणाएँ फैलाई गई है की डीएमसी चैरीटेबल संस्था नहीं है इसलिए इसकी जानकारियों को सार्वजनिक नहीं किया जाता। लेकिन बुद्धिजीवीयों अनुसार अगर डीएमसी चैरीटेबल नहीं है तो किस आधार पर लोगों से डोनेश ली जाती है वहीं कॉर्पोरेट कपनियों से लिए गए सीएसआर फंड को किस अधिनियम के तहत टैक्स छूट मिलती है जबकि सूत्रों अनुसार डीएमसी सोसाइटी 5 अक्टूबर 1964 को सर्टिफिकेट न 33 के माध्यम से चैरीटेबल सोसाईटी के तहत रजिस्टर्ड हुआ है। वही राज्य सरकार द्वारा भी अलग टैक्स बैनिफिट मिल रहे है जिनमें डीएमसी के लिए खरीदी जाने वाली प्रॉपर्टी पर स्टाम्प ड्यूटी माफ़ बताई जाती है

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